दिल्ली-NCR में बंद होंगी ओला, उबर, रेपिडो? कोर्ट के फैसले पर आया बड़ा अपडेट
NCR
भारत देश भर में चलने वाले ओला उबर रेपिडो जैसे कुछ टैक्सी यो को कोर्ट एनसीआर ने बड़ा झटका दिया हे इनपर 14 जून से रोक लगा दी हे जिससे पूरी ओला जैसे कंपनी योको मुश्किल का सामना करना पड सकता हे ।
पर कुछ पिली टैक्सियों को कोर्ट NCR ने मान्यता दी हे चलाने को फिलाल । मार्किट में बहोत सी टैक्सियां आगी हे पर कुछ कम्पनी पर केस कोर्ट में चलरही थी । जिसे उन्हें बहोत बड़ी हानि होसकती हे । कोर्ट का बड़ा फैसला 16 जून से लागु करदिया जायेगा ।
भारत में परिवहन व्यवस्था हमेशा चर्चा का विषय रही है, खासकर जब बात आती है सार्वजनिक यातायात की। महानगरों में टैक्सी सेवा न केवल एक ज़रूरत है, बल्कि यह आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। दिल्ली- NCR (नेशनल कैपिटल रीजन) जैसे क्षेत्रों में टैक्सी सेवाओं की मांग बहुत ज़्यादा है। ऐसे में कोर्ट द्वारा हाल ही में लिया गया एक बड़ा फैसला फिर से सुर्खियों में है।
इस फैसले के अनुसार, कुछ चुनिंदा पीली टैक्सियों को फिलहाल के लिए NCR में चलने की मंजूरी दे दी गई है, जबकि इस संबंध में कुछ टैक्सी कंपनियों पर अब भी कानूनी विवाद जारी है। आइए जानते हैं इस पूरे मुद्दे की गहराई से – कोर्ट का फैसला क्या है, क्यों हुआ विवाद, और इसका आम जनता और टैक्सी व्यवसाय पर क्या असर पड़ेगा।
कोर्ट का फैसला किसे मिली राहत?
16 जून 2025 को, एक अहम सुनवाई के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुछ पुराने केसों की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया कि एनसीआर क्षेत्र में कुछ पीली टैक्सियां फिलहाल चलाई जा सकती हैं, जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।
ये टैक्सियां उन कंपनियों से जुड़ी हैं, जिनके खिलाफ कुछ वर्ष पहले पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन और पुराने डीज़ल वाहनों के प्रयोग के आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने अब यह अंतरिम आदेश दिया है कि जिन टैक्सियों का इंजन अपग्रेड हो चुका है या जिन्होंने नियमानुसार जरूरी बदलाव किए हैं, वे सीमित समय और सीमित क्षेत्र में सेवा दे सकती हैं।
क्यों हुआ था विवाद?
NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या किसी से छुपी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और अन्य एजेंसियों ने बार-बार सख्त नियम लागू किए हैं ताकि डीज़ल वाहन, विशेषकर 10 साल से अधिक पुराने टैक्सी वाहन, सड़कों से हटाए जाएं।
इसी के तहत कुछ साल पहले सभी पीली टैक्सियों को बैन कर दिया गया था, जिनमें से अधिकांश पुराने डीज़ल इंजन पर चलती थीं। परन्तु कुछ कंपनियों ने इस फैसले को चुनौती दी और दावा किया कि उन्होंने अपने वाहनों में CNG फिटिंग कराई है या नए इंजन लगवाए हैं। बावजूद इसके उन्हें चलाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। अब कोर्ट ने इन कंपनियों की बातों पर गौर करते हुए और सभी दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद आंशिक रूप से कुछ टैक्सी सेवाओं को चलने की अनुमति दी है, जो एक राहत की खबर है।
किन कंपनियों पर अब भी है कानूनी संकट?
जहाँ कुछ टैक्सी ऑपरेटर्स को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर कुछ टैक्सी कंपनियों पर अभी भी कोर्ट में केस चल रहा है। उनके खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे रजिस्ट्रेशन कराया था इंजन अपग्रेड की रिपोर्ट्स झूठी थीं टैक्सी परमिट में नियमों का उल्लंघन किया गया टैक्सी ड्राइवरों की वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी
इन सब मामलों में अभी कोर्ट की सुनवाई जारी है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, साथ ही भविष्य में उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
16 जून से लागू – क्या होगा बदलाव?
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस आदेश का प्रभाव 16 जून 2025 से लागू होगा। यानी जिन टैक्सियों को अनुमति दी गई है, वे इसी तारीख से सीमित संख्या में और तय शर्तों के साथ सड़कों पर दौड़ सकेंगी। इसके लिए परिवहन विभाग को सभी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रत्येक टैक्सी को यूनिक स्टिकर मिलेगा GPS ट्रैकिंग अनिवार्य की गई है टैक्सी ड्राइवरों को ID वेरिफिकेशन पास करना होगा किसी भी प्रकार की प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधि पर तुरंत प्रतिबंध लगेगा
ड्राइवरों और कंपनियों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद टैक्सी यूनियन और ड्राइवरों ने राहत की सांस ली है। टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष ने कहा –“हम पिछले दो सालों से संघर्ष कर रहे थे। कई ड्राइवरों की रोज़ी-रोटी छिन चुकी थी। कोर्ट का यह फैसला उम्मीद की एक किरण है।” वहीं कंपनियों का भी मानना है कि अब वे अपने बिजनेस को धीरे-धीरे पुनः स्थापित कर सकेंगे। हालांकि वे अभी भी आशंकित हैं कि कहीं ये राहत अस्थायी ना हो जाए।
आम जनता को क्या होगा फायदा?
इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा साधारण यात्रियों को होगा। दिल्ली- NCR जैसे व्यस्त क्षेत्रों में ऐप बेस्ड कैब सेवाओं पर भारी निर्भरता है। लेकिन हर किसी के पास ये सेवाएं लेना संभव नहीं होता। पीली टैक्सियां एक किफायती विकल्प थीं, जिनकी वापसी सेकिराया कम होगा टैक्सियों की उपलब्धता बढ़ेगी लोकल ट्रांसपोर्ट में विकल्प बढ़ेंगे ऑफिस जाने वाले, स्टूडेंट्स और बुजुर्गों को राहत मिलेगी
टैक्सी मार्केट पर क्या असर पड़ेगा?
टैक्सी व्यवसाय में पिछले कुछ सालों में Ola, Uber जैसी कंपनियों ने बढ़त बना ली थी। पर अब जब पीली टैक्सियों की वापसी हो रही है, तो यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकती है। पुरानी कंपनियां फिर से अपने ग्राहक आधार को बढ़ाने की कोशिश करेंगी। अगर ये टैक्सियां स्मार्ट पेमेंट, ऐप-इंटीग्रेशन और ट्रैकिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं अपनाती हैं, तो ये दोबारा बाजार में अपनी पहचान बना सकती हैं।
भविष्य की राह
फिलहाल यह अनुमति अस्थायी और सीमित है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी टैक्सी में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो उसका परमिट तुरंत रद्द किया जाएगा। साथ ही सरकार और परिवहन विभाग को सख्त निगरानी के आदेश दिए गए हैं। इसका सीधा मतलब है कि टैक्सी कंपनियों को हर नियम का सख्ती से पालन करना होगा और पारदर्शिता बनाए रखनी होगी।
NCR में पीली टैक्सियों की वापसी भले ही आंशिक और अस्थायी हो, लेकिन यह न केवल ड्राइवरों और कंपनियों के लिए राहत की खबर है, बल्कि आम जनता के लिए भी सुविधाजनक विकल्प बन सकती है। अब देखना यह होगा कि यह सेवा किस हद तक नियमों का पालन करती है और कोर्ट के भरोसे पर खरी उतरती है या नहीं। अगर सब कुछ सही दिशा में चलता रहा, तो संभव है कि भविष्य में यह अस्थायी राहत स्थायी मंजूरी में बदल जाए – और एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर पीली टैक्सियों की रौनक लौट आए।